खिड़कियों से झांकते
वे अतीत के सुखद क्षण
जब दिन अमलताश की तरह पीले होते थे
और शामेँ गुलमोहर सी लाल
तब हम रात मेँ तारों की छांव तले
चन्दा को लेकर रोज एक कहानी गड़ लेते थे
और उन दिनों की अन्दर तक भरी चांदनी
आज तक मेरे दिल को रोशन करती रहती है
जब आप तनाव के दौर से गुजर रहे हों तो सकारात्मक यादों से अच्छा कुछ नही ।
अपनी स्मृतियों के पन्ने उलट- पुलट कर देखेंगे तो कुछ न कुछ ऐसा अवश्य मिल जायेगा जो आपके चेहरे पर मुस्कान विखेर दे ।
दुष्यंत कुमार कहते हैं .............
चलो अब यादगारों की अँधेरी कोठरी खोलें
कम अज् कम एक वो चेहरा तो पहचाना हुआ होगा ।
वे अतीत के सुखद क्षण
जब दिन अमलताश की तरह पीले होते थे
और शामेँ गुलमोहर सी लाल
तब हम रात मेँ तारों की छांव तले
चन्दा को लेकर रोज एक कहानी गड़ लेते थे
और उन दिनों की अन्दर तक भरी चांदनी
आज तक मेरे दिल को रोशन करती रहती है
जब आप तनाव के दौर से गुजर रहे हों तो सकारात्मक यादों से अच्छा कुछ नही ।
अपनी स्मृतियों के पन्ने उलट- पुलट कर देखेंगे तो कुछ न कुछ ऐसा अवश्य मिल जायेगा जो आपके चेहरे पर मुस्कान विखेर दे ।
दुष्यंत कुमार कहते हैं .............
चलो अब यादगारों की अँधेरी कोठरी खोलें
कम अज् कम एक वो चेहरा तो पहचाना हुआ होगा ।
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